Sunday 11 September 2016

हुअा सवेरा

हुअा सवेरा अाँख खोल
मन में झाक दिमाग खोल
अब वक्त ह, न तू थम
जो तू थमा तो रह जाए गम।

उस लक्ष्मी की रक्षा कर
जिसने माँ बन तेरी हर मुश्किल झेली।
उस दुर्गा को इज़्जत बरत
जिसने खुशी से तेरी हर तीर खुद ले ली।।

औरत वो कहलाती है
और तेरे सारे गम वो पी जाती है।
उसका सब तू है
ऐसा आखिर क्यूँ है।
क्यू है तेरे वजूद की उसे परवाह
तेरे हर खुशी की वो है गवाह।

तो आज कुछ कर्ज़ उतार
उसे बरत इज़्जत और प्यार
तेरे केशिश में न हो कमी
न हो कभी उसकी आँखों में नमी
कहते तो लोग उसे तेरी पहचान हैं
पर वो तो तेरी भगवान है।।

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